- National Council for Teacher Education के फायदे?
- शैक्षणिक क्षेत्र में अपने प्रशंसनीय कार्य
- अध्यापक शिक्षा में मानक
- भारत में अध्यापक शिक्षा प्रणाली का नियोजित
- समन्वित विकास करना
- अध्यापक शिक्षा प्रणाली में मानदंडों
National Council for Teacher Education के फायदे?
यह भारत में शिक्षा का सुधार करती है। शिक्षा में हो रही गतिविधियों पर पूरी तरीके से नजर बनाए रखती है। National Council for Teacher Education is a statutory body of Indian government set up under the National Council for Teacher Education Act, 1993 in 1995 is to formally oversee standards, procedures and processes in the Indian education system. राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद्. (भारत सरकार का एक सांविधिक निकाय) यह केंद्रीय में होने वाली सभी परीक्षाओं जो शिक्षक भर्ती के लिए प्रचलित होती हैं उन सब पर निगरानी रखती हैं।
शैक्षणिक क्षेत्र में अपने प्रशंसनीय कार्य
छात्रों की मानसिक बुद्धि में बढ़ोतरी। शिक्षक के अंदर शैक्षणिक की क्षमता में सुधार। छात्रों को किस प्रकार से ज्ञान दिया जाए शिक्षक को समझाना। 1973 के पूर्व राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद की भूमिका अध्यापक शिक्षा से संबंधित सभी विषयो पर केंद्रीय और राज्य सरकारो के लिए एक सलाहकार निकाय के रूप में थी। परिषद का सचिवालय राष्ट्रीय शेक्षिक अनुशंधान तथा प्रशिक्षण परिषद, (एनसीईआरटी) के अध्यापक शिक्षा विभाग में स्थित था। शैक्षणिक क्षेत्र में अपने प्रशंसनीय कार्य के बाबजूद परिषद, अध्यापक शिक्षा में मानको को बनाये रखने तथा घटिया अध्यापक शिक्षा संस्थानों की बरोतरी को रोकने के अपने अनिवार्ये विनियामक कार्य नहीं कर सकी थी। शिक्षकों को छात्रों को बढ़िया से सिखाना समझाना और आगे समय के लिए बेहतर बनाना।
अध्यापक शिक्षा में मानक
छात्रों को शांत और अच्छी तरीके से सिखाना। छात्रों के अंदर पढ़ाई के प्रति जागरूकता को बढ़ाना। साविधिक निकाय के रूप में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा प्ररिषद अधिनियम 1993 के अधीन (1993 का 73 वा) राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा प्ररिषद 17 अगस्त 1995 से अस्तितव में आई। जो छात्र पढ़ाई से दूर भाग रहे हैं उनको सही रास्ता बताना जिसके कारण वह पढ़ाई पर पुनः ध्यान दे सकें। यह सभी शिक्षक के अध्यापक शिक्षा के मानक उद्देश्य हैं।
भारत में अध्यापक शिक्षा प्रणाली का नियोजित
शिक्षा प्रणाली का नियोजन भारत में बहुत ही अलग-अलग प्रकार से हुआ है। सबसे पहले भारत में जितने भी अध्यापक शिक्षा देते हैं. उनको छात्रों के व्यवहार और उनकी कुशलता के मुताबिक वैसा कार्य देना चाहिए। अगर छात्र जो कमजोर हैं. उनको समझाने के लिए कुछ नए तरीके जैसे आप वीडियो या तस्वीरों के जरिए उन्हें दे सकते हैं। इस प्रकार से भारत में अध्यापक शिक्षा प्रणाली को अलग-अलग प्रकार से नियोजित करते चलते आ रहे हैं। यहां पर जो भारत की नेशनल काउंसलिंग टीचर एजुकेशन है. वह भी भारत में अध्यापक शिक्षा प्रणाली का नियोजन पर बहुत अच्छी तरीके से कार्य कर रहा है।
समन्वित विकास करना
हां तो आपने यह जाना कि हमेशा ही लगातार कैसे विकास हो सकता है शिक्षा के क्षेत्र में। यह सबसे आसान है कि आप को शिक्षक को पूर्ण रूप से छात्रों के मनोभाव को जानने और सीखने के लिए उन्हें सिखाया पढ़ाया जाए। जब भी इन सब के बारे में जान जाएंगे तब वह जिस भी छात्र को पढ़ाएंगे उसका समन्वित विकास संभव हो सकता है।
अध्यापक शिक्षा प्रणाली में मानदंडों
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा प्ररिषद का मूल उद्देश्य समूचे भारत में अध्यापक शिक्षा प्रणाली का नियोजित और समन्वित विकास करना, अध्यापक शिक्षा प्रणाली में मानदंडों और मानको का विनियमन तथा उन्हे समुचित रूप से बनाये रखना और तत्संबंधी विषय हैं।